रांची: झारखंड में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। बीजेपी को झटका देते हुए कई नेताओं ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) में शामिल हो गए हैं। जेएमएम ने रातों-रात ‘ऑपरेशन हेमंत’ चलाकर बीजेपी के कई बड़े नेताओं को अपने पाले में खींच लिया है। इस ऑपरेशन में जेएमएम ने बीजेपी के बड़े ‘ब्रह्मास्त्र’ लुईस मरांडी को भी तोड़कर अपने पाले में कर लिया है, जिसका इस्तेमाल बीजेपी हेमंत सोरेन के खिलाफ बरेहट सीट पर करना चाहती थी। लुईस मरांडी दुमका सीट से चुनाव लड़ना चाहती थीं, लेकिन बीजेपी ने उन्हें हेमंत सोरेन के खिलाफ बरेहट से चुनाव लड़ने को कहा था। बता दें, लुईस मरांडी ने ही 2014 के विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन के खिलाफ जीत दर्ज कर दुमका में पहली बार कमल खिलाया था।
BJP के कौन से नेता JMM में शामिल हुए?
जेएमएम में शामिल होने वाले अन्य नेताओं में सरायकेला से बीजेपी के पूर्व उम्मीदवार गणेश महली, बहरगोड़ा से पूर्व उम्मीदवार कुणाल षाडंगी, बास्को बेहरा, बारी मुर्मू और लक्ष्मण टुडू के नाम शामिल हैं। सारठ के पूर्व विधायक चुन्ना सिंह के भी जेएमएम में शामिल होने की खबर है, जो टिकट न मिलने से नाराज बताए जा रहे हैं।
BJP के खिलाफ ‘ऑपरेशन हेमंत’, सीएम सोरेन ने लगा दी फील्डिंग
सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी नेताओं को जेएमएम में शामिल कराने के इस पूरे अभियान को ‘ऑपरेशन हेमंत’ नाम दिया गया है। जेएमएम इस चुनाव में ‘हेमंत दुबारा’ के नारे के साथ मैदान में है। पार्टी पूरे चुनाव में मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने की कोशिश में है।
बरेहट से हेमंत सोरेन और गांडेय से कल्पना मुर्मू लड़ सकती हैं चुनाव
हेमंत सोरेन ने अब तक उम्मीदवारों के नामों का ऐलान नहीं किया है, लेकिन जेएमएम के कई उम्मीदवार नामांकन भी करने लगे हैं। कहा जा रहा है कि हेमंत सोरेन ने उन सभी को सिंबल दे दिया है, जिन्हें वे चुनाव लड़ाना चाहते हैं। जेएमएम सूत्रों के मुताबिक, अब तक 41 नाम तय कर लिए गए हैं। इनमें बरेहट से खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और गांडेय से उनकी पत्नी कल्पना मुर्मू का नाम शामिल हैं।
कौन हैं लुईस मरांडी?
24 साल सेराजनीति करने वाली लुईस मरांडी 2014 में तब सुर्खियों में आई थीं, जब उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को उनकी परंपरागत सीट दुमका में हराया था। पहली बार दुमका में लुईस की वजह से बीजेपी जीत हासिल कर पाई थी। रघुबर दास की सरकार में लुईस मरांडी को मंत्री बनाया गया था। बीजेपी इस बार भी उन्हें बरेहट से उतारकर 2014 जैसा खेल खेलना चाह रही थी, लेकिन हेमंत ने पहले ही चाल चल दी।झारखंड में विधानसभा चुनाव से पहले ही राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। आने वाले दिनों में और भी कई उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं। हो सकता है कि कुछ जेएमएम नेता भी पार्टी छोड़कर बीजेपी में चले जाएं।