जम्मू -कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करने के बाद पहली बार केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराए जा रहे हैं
ये विधानसभा चुनाव क़रीब एक दशक के बाद होने जा रहे हैं. साल 2019 में केंद्र सरकार ने विशेष दर्जा ख़त्म कर जम्मू-कश्मीर को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था.लद्दाख को भी अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया. जम्मू-कश्मीर में ये विधानसभा चुनाव तीन चरणों में होंगे.जम्मू-कश्मीर में बीते दो दशकों में इस बार का चुनाव सबसे कम समय में कराया जा रहा है.
आख़िरी बार 2014 में हुए थे विधानसभा चुनाव
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा के आख़िरी चुनाव साल 2014 में हुए थे. साल 2018 में बीजेपी और पीडीपी के गठबंधन वाली सरकार गिर गई थी.
जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक दल एक लंबे समय से विधानसभा चुनाव कराने की मांग कर रहे थे.
भारत के निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को दिल्ली में एक प्रेस सम्मेलन में चुनाव की घोषणा करते हुए बताया कि जम्मू-कश्मीर में मतदाताओं की संख्या 87.09 लाख है.
विधानसभा के चुनाव जम्मू-कश्मीर में कई तब्दीलियों के बाद किए जा रहे हैं.
साल 2022 में जम्मू-कश्मीर में परिसीमन करके सात नई सीटें जोड़ी गई हैं और अब 83 सीटों की जगह नई विधानसभा में 90 सीटें होंगी.
05 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करने के बाद जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दल राज्य का दर्जा वापस देने की मांग कर रहे हैं.
2019 में विशेष दर्जा हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में एक लंबे समय तक कर्फ्यू और प्रतिबंध लगाए गए थे और इंटरनेट को भी बंद किया गया था.
सरकार ने हज़ारों लोगों को हिरासत में लिया था जिनमें नेता भी शामिल थे.
सरकार के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ कई राजनीतिक दलों ने याचिकाएं दायर कर इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
हालांकि, दिसंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने फ़ैसला सुनाते हुए जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को ख़त्म करने का फ़ैसला बरक़रार रखा.
इस फ़ैसले के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने के लिए क़दम उठाने को कहा था.