बदले हुए राजनीतिक समीकरणों के बीच ये प्रदेश में पहला विधानसभा चुनाव है. इस कारण अगले तीन महीने महाविकास आघाड़ी (एमवीए) और महायुति दोनों के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण रहने वाले हैं.शिवसेना और एनसीपी में पार्टी पर अधिकार को लेकर बगावत और चुनाव चिन्ह के लिए क़ानूनी लड़ाई के बाद अब यह पहला मौक़ा होगा जब यह पता चलेगा कि जनता किसे असली शिव सेना और एनसीपी मानती है.विधानसभा चुनाव को लेकर दोनों कैंपों में रणनीतियां बननी शुरू हो गई है, लेकिन मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर दोनों तरफ अभी स्थिति साफ़ नहीं है.जहां एक तरफ महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी ने अपने प्रभाव वाली सीटों पर काम करना शुरू कर दिया है, वहीं दूसरी तरफ महायुति में बीजेपी और सहयोगी दलों के बीच सीटों को लेकर अभी भी मतभेद है.
शिवसेना ठाकरे गुट के नेता उद्धव ठाकरे ने अघाड़ी के नेताओं और पदाधिकारियों की बैठक में मुख्यमंत्री पद के फ़ॉर्मूले को लेकर अपनी राय रखी.
दूसरी तरफ महायुति की तरफ भी कमोबेश वही हाल है. महायुति सरकार की तरफ से एकनाथ शिंदे भले ही मुख्यमंत्री हैं लेकिन यहाँ इस खेमे में भी अभी तक मुख्यमंत्री पद का चेहरा तय नहीं हुआ है.
ऐसे में भले ही दोनों तरफ से सियासी जंग जीतने का दावा किया जा रहा है लेकिन सीटों के बंटवारे और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर अभी स्थिति साफ नहीं है.
उद्धव ठाकरे ने कहा, “शरद पवार और पृथ्वीराज चव्हाण, आप मुख्यमंत्री पद के चेहरे की घोषणा करें, मैं उनका समर्थन करता हूं. क्योंकि मैं यह चुनाव अपने लिए नहीं लड़ रहा हूं.”उद्धव ठाकरे इतने पर नहीं रुके. बीजेपी के साथ अपने गठबंधन का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा, “हम वैसे गठबंधन में फिर से नहीं रहना चाहते जहां ‘जिसकी संख्या ज़्यादा, उसका सीएम’ की पॉलिसी के कारण लोग एकदूसरे की सीट को कम करने का काम करें. वो एक भारी ग़लती थी जिसमें हम फिर से नहीं जाना चाहते. इसलिए आप लोग सीएम का चेहरा तय करिए और आगे बढ़िए.”सीएम चेहरे को लेकर उद्धव ठाकरे की इस खुली राय के बाद शरद पवार और कांग्रेस नेताओं के सामने बड़ा सवाल खड़ा हो गया है.इसके जबाब में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने अपने भाषण में कहा, “मुख्यमंत्री पद के चेहरे का फै़सला उच्चतम स्तर पर किया जाएगा.”वहीं पृथ्वीराज च्वहाण ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि “अब तक हम ‘जिसकी संख्या ज़्यादा, उसका सीएम’ के फ़ॉर्मूले पर अलम करते आए हैं, इस बार भी इसी पर अमल करेंगे.”किसी भी गठबंधन में सीएम पद के लिए जो फ़ॉर्मूला इस्तेमाल में लाया जाता था उसके अनुसार गठबंधन में जिसकी सीटें ज़्यादा हों, मुख्यमंत्री उसी का होता है.महाविकास अघाड़ी में भी संभावना इसी फ़ॉर्मूले की थी लेकिन उद्धव ठाकरे के बयान के बाद सवाल खड़ा हो गया है कि चुनाव परिणाम से पहले सीएम पद के चेहरे की घोषणा कैसे की जाए!
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अभय देशपांडे
का मानना है कि मुख्यमंत्री पद को लेकर बयान देकर उद्धव ठाकरे ने एक तरह से सहयोगी दलों को चेतावनी दी है कि उन्हें हल्के में न लिया जाए.उन्होंने कहा, “उनके दिल्ली दौरे के दौरान कांग्रेस आलाकमान ने प्रस्ताव दिया था कि उद्धव ठाकरे को प्रचार प्रमुख बनाया जाए लेकिन मुख्यमंत्री नहीं. इसी वजह से ठाकरे कह रहे है के अगर मैं मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं हूं तो कांग्रेस और एनसीपी उनके उम्मीदवार की घोषणा करें. मुझे लगता है कि ठाकरे ने एक तरह से चेतावनी दी है.”