मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन झारखंड विधान सभा में आयोजित त्रिदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के शुभारम्भ में सम्मिलित हुए
हेमंत सोरेन ने कहा कि लोकतांत्रिक राज्य में विधि व्यवस्था समाज को अच्छे से चलाने के लिए संविधान के कानून का पालन करवाना सर्वाधिक व्यापक है। बिना कानून व्यवस्था के एक अच्छे राज्य का निर्माण संभव नहीं है
रांची :
मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन आज झारखंड विधान सभा के सभागार में “विधि निर्माण की प्रक्रिया एवं कार्यपालिका का दायित्व” विषय पर आयोजित त्रिदिवसीय प्रशिक्षण के शुभारम्भ कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि “विधि निर्माण की प्रक्रिया एवं कार्यपालिका का दायित्व” एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आने वाले समय में बेहतर विधानसभा के संचालन में सहायक साबित होगी। इस अवसर पर संसदीय कार्य मंत्री श्री आलमगीर आलम, विधान सभा अध्यक्ष श्री, रबीन्द्र नाथ महतो, विधायक श्री लम्बोदर महतो सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था की मूल आत्मा हमारे संविधान में निहित है। जिस तेजी से विधायी व्यवस्थाओं के अंतर्गत नए कानून बनते हैं या कानूनों में संशोधन होते हैं, ऐसी परिस्थिति में विधायिका द्वारा पारित विधेयक अथवा अध्यादेश का अनुपालन सुनिश्चित किया जाना जरूरी होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक लंबे समय अंतराल पर इन विषयों को पुनः रिवाइज करने की आवश्यकता होती है। समय के साथ कई चीजें अलग-अलग दिशा में चलने लगती हैं। जरूरी है कि इन सब चीजों पर विचार और संगोष्ठी होती रहे।
मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि झारखंड प्रदेश के लगभग 23 साल पूरे होने जा रहे हैं। नया राज्य होने के वजह से झारखंड विधान सभा को विधायिका का बहुत लंबा अनुभव नहीं है लेकिन अब यह जरूरी है कि स्थायी तौर पर विधायिका और कार्यपालिका एक बेहतर समन्वय और तालमेल के साथ कार्य करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम जनप्रतिनिधि चुनाव जीतकर आते हैं, सरकार बनाते हैं लेकिन कुछ व्यवस्थाएं स्थायी तौर पर कार्य करती हैं। इन स्थायी व्यवस्थाओं एवं संस्थाओं को राज्य में किसकी सरकार है इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए, बल्कि व्यवस्थाएं निरंतर ठीक से चलती रहे इस पर चिंतन करने की आवश्यकता है। मैं समझता हूं कि कुछ चीजें निरंतर बिना रुकावट के चलती हैं और ये व्यवस्थाएं सुचारू रूप से कैसे चलें इस निमित्त यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विधायिका प्रणाली में हम सभी लोग विधान सभा के माध्यम से नियम बनाने से लेकर कई विधेयक पास कराने सहित कई अन्य महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। इन सभी नियम-कानूनों को कार्यपालिका व्यवस्था से होकर गुजरना पड़ता है। अतएव यह आवश्यक है कि विधायिका और कार्यपालिका के बीच एक बेहतर समन्वय स्थापित हो तभी सभी कार्य सुचारू एवं सुदृढ़ तरीके से पूरा हो सकेगी। जब विधायिका और कार्यपालिका के बीच समन्वय ठीक नहीं बन पाता है तब विधान सभा के अंदर कई सवाल खड़े होते हैं। आवश्यक है कि इन सभी कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए हम सभी लोग सामूहिक दायित्व का निर्वहन करें।
इस अवसर पर संसदीय कार्य मंत्री श्री आलमगीर आलम एवं झारखंड विधान सभा अध्यक्ष श्री रबीन्द्र नाथ महतो ने भी “विधि निर्माण की प्रक्रिया एवं कार्यपालिका का दायित्व” विषय पर अपनी-अपनी बातें रखते हुए विषय की महत्ता एवं उपयोगिता पर विस्तृत प्रकाश डाला। इस अवसर पर विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के बीच बेहतर समन्वय किस प्रकार स्थापित की जा सके इस पर भी बल दिया गया।
इस अवसर पर लोकसभा के पूर्व महासचिव श्री पीडीटी आचार्य, पीआरएस के श्री चक्षु राय, डीजीपी झारखंड श्री अजय कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्रीमती वंदना दादेल, मुख्यमंत्री के सचिव श्री विनय कुमार चौबे, झारखंड विधान सभा के प्रभारी सचिव श्री सैयद जावेद हैदर सहित भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा, झारखंड प्रशासनिक सेवा के वरीय पदाधिकारीगण उपस्थित थे।