भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग टोबगे अपनी पहली विदेश यात्रा पर आज भारत पहुंच गए हैं। भूटान का प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत का चयन किया। इससे चीन परेशान हो उठा है। हालांकि ऐसा पहले भी होता रहा है। चीन को इस बीच भारत और भूटान के बीच रक्षा सहयोग होने की सबसे बड़ी चिंता सता रही है। बता दें कि चीन से भूटान परेशान है। चीन ने अभी कुछ समय पहले ही भूटान के एक भूभाग पर अराजकता फैलाई है। भूटान की ओर से किए गए दावे के अनुसार चीन ने उसके एक भूभाग पर कब्जा कर लिया है।
टोबगे ने बृहस्पतिवार को भारत की पांच दिवसीय यात्रा शुरू की, जो कार्याभार संभालने के बाद उनकी पहली विदेश यात्रा है। भारत-जापान संबंधों को और मजबूत करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज शाम अपने भूटानी समकक्ष के साथ व्यापक वार्ता करेंगे। टोबगे का राष्ट्रीय राजधानी में हवाई अड्डे पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने स्वागत किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा ” भूटान के प्रधानमंत्री की यात्रा भारत और भूटान के बीच मित्रता के अच्छे संबंधों को ध्यान में रखते हुए अहम है।
भूटान के साथ इस अहम समझौते को मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को ऊर्जा दक्षता के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भारत और भूटान के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने की मंजूरी दे दी। मंत्रिमंडल ने खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग के लिए भूटान खाद्य एवं औषधि प्राधिकरण (बीएफडीए) और भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर के लिए भी मंजूरी दे दी। विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान में कहा “भूटान के प्रधानमंत्री की यात्रा दोनों पक्षों को हमारी अनूठी साझेदारी में प्रगति की समीक्षा करने एवं भारत और भूटान के बीच दोस्ती और सहयोग के स्थायी संबंधों का विस्तार करने के तरीकों और साधनों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करेगी