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पाकिस्तान में नई सरकार बन भी जाए तो अमेरिका न दे उसे मान्यता”, जानें अमेरिकी सांसदों ने बाइडेन को क्यों लिखा ये पत्र

जो बाइडेन, अमेरिका के राष्ट्रपति। - India TV Hindi
जो बाइडेन, अमेरिका के राष्ट्रपति।

वाशिंगटन:  पाकिस्तान में खंडित जनादेश के बाद अब गठबंधन सरकार बनने का रास्ता लगभग साफ हो गया है, लेकिन इस सरकार को मान्यता न देने के लिए अमेरिकी सांसदों ने आवाज उठाई है। अमेरिकी सांसदों का कहना है कि पाकिस्तान में नई सरकार को अभी अमेरिका को मान्यता नहीं देनी चाहिए। अमेरिका में सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रभावशाली सांसदों के एक समूह ने पाकिस्तान में हाल में हुए चुनावों में धांधली होने के ‘पुख्ता सबूत’ होने का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति जो बाइडन को एक पत्र लिखा है। समूह ने अपने पत्र में मांग की कि पाकिस्तान की नयी सरकार को उस वक्त तक मान्यता नहीं दी जाए जब तक कि इस संबंध में पारदर्शी और विश्वसनीय जांच नहीं कराई जाती।

इस समूह में मुस्लिम सांसद भी शामिल हैं। पाकिस्तान में आठ फरवरी को हुए आम चुनावों में व्यापक स्तर पर धांधली होने के आरोप लगाये गए हैं। चुनाव परिणामों में खंडित जनादेश मिला था। जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्टी द्वारा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने 266 सदस्यीय नेशनल असेंबली में 90 से अधिक सीट पर जीत दर्ज की। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पीएमएल-एन ने 75 सीट पर जीत हासिल की और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो की पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) को 54 सीट मिली। मुत्तिहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान ने 17 सीट जीती।

राष्ट्रपति बाइडेन को इसलिए लिखा पत्र

राष्ट्रपति बाइडन और अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को लिखे एक संयुक्त पत्र में सांसदों ने पाकिस्तान के हालिया संसदीय चुनावों में मतदान से पहले एवं इसके बाद धांधली होने पर चिंता जताई है। उन्होंने अमेरिकी संसद से पाकिस्तान की नयी सरकार की मान्यता उस वक्त तक रोकने का आग्रह किया है जब तक कि चुनावों में हस्तक्षेप की एक पारदर्शी और विश्वसनीय जांच नहीं हो जाती है। अमेरिकी सांसदों ने कहा, ‘‘चुनाव में धांधली होने के पुख्ता सबूतों को ध्यान में रखते हुए, हम आपसे पाकिस्तान की नयी सरकार को मान्यता देने से पहले गहन, पारदर्शी और विश्वसनीय जांच होने तक इंतजार करने का आग्रह करते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह आवश्यक कदम उठाए बिना, आप पाकिस्तानी अधिकारियों के अलोकतांत्रिक व्यवहार का समर्थन करने का जोखिम मोल लेंगे और पाकिस्तानी अवाम की लोकतांत्रिक इच्छा को कमजोर कर सकते हैं।’ पत्र पर भारतीय मूल की कांग्रेस सदस्य प्रमिला जयपाल ने भी हस्ताक्षर किए हैं।

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