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Fear of Third World War cannot be dismissed UNGA President/तीसरे विश्व युद्ध के आशंका के बादलों को रोक पाना मुश्किल! UNGA के इस आधिकारिक बयान से दुनिया के उड़े होश

प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi

रूस-यूक्रेन युद्ध, इजरायल-हमास युद्ध, पाकिस्तान-ईरान संघर्ष, चीन-ताईवान तनाव और पश्चिम एशिया में लगातार बढ़ रहे संघर्षों ने तीसरे विश्व युद्ध की पटकथा लगभग तैयार कर दी है। अब तीसरे विश्व युद्ध की आशंका के मंडराते बादलों को रोक पाना मुश्किल हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पहली बार कहा है कि दुनिया के मौजूदा हालातों को देखकर तीसरे विश्व युद्ध की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने बुधवार को कहा कि लाल सागर में स्थिति “बेहद परेशान करने वाली” है और इसके और बिगड़ने की आशंका है।

फ्रांसिस ने मीडिया से बातचीत में संघर्ष के “क्षेत्रीकरण” के प्रति आगाह किया, और कहा कि “तीसरे विश्व युद्ध की आशंका को खारिज नहीं कर सकते।” फ्रांसिस ने गाजा में संघर्ष के लिए दो-राष्ट्र समाधान के लिए भारत के आह्वान की सराहना की, और नयी दिल्ली की स्थिति को “अत्यधिक जिम्मेदार, व्यावहारिक, समझदार और आवश्यक” बताया। लाल सागर की स्थिति पर फ्रांसिस ने कहा कि यह “”बेहद परेशान करने वाली” है। उन्होंने कहा, “यह बेहद परेशान करने वाली स्थिति है। ऐसा प्रतीत होता है कि लाल सागर में हूतियों द्वारा की जा रही इस कार्रवाई में तीसरे पक्ष मदद कर रहे हैं – यह बहुत हानिकारक और बहुत खतरनाक है।” उन्होंने कहा, “क्योंकि आखिरी चीज जो आप वास्तव में चाहते हैं वह उस युद्ध का क्षेत्रीयकरण है। आप ऐसा नहीं चाहते हैं क्योंकि इसका मतलब होगा कि युद्ध और बढ़ेगा और तनाव और भी भड़केगा। इसलिए, तीसरा विश्व युद्ध आशंका के दायरे से बाहर नहीं है।

यूएनएससी की स्थाई सदस्यता के लिए भारत के दावे के बाद सुधारों को बताया अपरिहार्य

” संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष राजनयिक ने विदेश मंत्री एस.जयशंकर के साथ यहां “व्यापक बातचीत” की और गाजा की स्थिति, यूक्रेन में संघर्ष और संयुक्त राष्ट्र में भारत की भूमिका तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार शामिल हैं। जयशंकर ने ‘एक्स’ पर कहा, “आज दोपहर नयी दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस का स्वागत करते हुए बहुत खुशी हो रही है। हमारी जी20 अध्यक्षता और ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट्स’ के लिए उनकी सकारात्मक भावनाएं उल्लेखनीय थीं। उन्होंने बहुपक्षवाद को मजबूत किया है।” उन्होंने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों विशेषकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में तत्काल सुधार की आवश्यकता पर उनके रुख की सराहना की।” गाजा की स्थिति पर फ्रांसिस ने कहा कि यह बहुत चिंताजनक है, उन्होंने कहा कि “शांति, शांति ही एकमात्र रास्ता है”। उन्होंने कहा, आज की भूराजनीतिक वास्तविकताएं परिषद में प्रतिबिंबित नहीं होती हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधारों पर उन्होंने कहा कि यह “अपरिहार्य” है। (भाषा)

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