ऋषिकेश में पुजारी बनने से खुदखुशी की कोशिश तक कैलाश खेर की लाइफ ने ऐसे ली करवट, बन गए टॉप क्लास सिंगर
लीग से हटकर बिल्कुल अलग अंदाज के गाने गाने वाले कैलाश खेर किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। ‘अलाह के बंदे हंसते’ और ‘टूटा टूटा एक परिंदा’ जैसे सुपरहिट गाने को अपनी आवाज देने वाले कैलाश खेर हमेशा से एक सिंगर नहीं थे। उन्होंने काफी कुछ आजमाया और फिर बॉलीवुड की राह चुनी। उनकी जिंदगी कभी भी सरल नहीं रही। कई बार पटरी से उतरी तो कई बार उन्हें हताश और परेशान होना पड़ा। जिंदगी की रेल गाड़ी को उन्होंने पटरी पर लाने से पहले कई असफलताओं का सामना किया। इसके चलते उन्हें भारी डिप्रेशन से भी जूझना पड़ा। ये डिप्रेशन इस कदर सिंगर के सिर पर सवार हुआ कि उन्होंने आत्महत्या जैसी मुशकिल राह तक चुन ली थी।
…जब गंगा में कैलाश ने लगाई छलांग
दो साल पहले कैलाश खेर ने एएनआई से बात करते हुए कई खुलासे किए और बताया कि उनकी जिंदगी में सिंगर बनने से पहले क्या-क्या हुआ। सिंगर ने बताया कि वो जिवनयापन के लिए उन्होंने कई चीजें करने की कोशिश की। 20-21 साल की उम्र में उन्होंने दिल्ली में एक्सपोर्ट का काम जोर-शोर से शुरू किया। वो जर्मनी में हैंडीक्राफ्ट बेचा करते थे। एक मुश्किल दौर आया और उनका बिजनेस चौपट हो गया। उन्होंने इसे मैनेज करने की कोशिश की, लेकिन जब से नहीं संभला तो उनके सामने एक और ऑप्शन आया। इसके बाद वो ऋषिकेश गए, जहां पंडित बनने के लिए गए थे। वहां पहुंचकर उन्हें लगा कि वो वहां फिट नहीं बैठ रहे। उनके ज्यादातर साथी उनसे कम उम्र के थे। ऐसे में विचारों में मतभेद रहता था। इस काम से भी मन हटने के बाद कैलाश खेर को लगा कि वो हर चीज में असफल हैं। इस बात से काफी निराश हो गए और आत्महत्या जैसा मुश्किल कदम उठा लिया। वो गंगा नदी में छलांग लगा दिए, लेकिन भाग्यवश वो बच गए और आत्महत्या में भी असफल हो गए।
शख्स ने मारा जोर का थप्पड़
कैलाश खेर ने आगे कहा, ‘घाट पर मौजूद एक आदमी ने तुरंत गंगा में छलांग लगा दी और उसने मुझे बचा लिया। उसने सवाल किया कि तैरना नहीं आता तो कूदे क्यों?’ मैंने उसे जवाब में कहा कि मरने के लिए और मेरी खुदखुशी की बात सुनने के बाद उसने मुझे सिर पर जोर से थप्पड़ मारा।’ इस मामले के बाद उन्होंने खुद को कमरे में बंद कर लिया और सोचते रहे। उन्होंने अपने अस्तित्व के बारे में विचार किया और भगवान से कनेक्ट करने की कोशिश की।
गंगा ने दिखाई राह
30 साल की उम्र पार करने के बाद कैलाश खेर मुंबई आए और उस वक्त उनके पास जीवन का तजुर्बा था। उन्हें सही और गलत का फर्क पता चल चुका था। संगीत के लिए उनका प्यार अटूट था और इसी वजह से उन्हें गाने का मौका मिला और वो सफल भी हुए। अब एक्टर का मानना है कि जिस गंगा में उन्होंने मरने के लिए छलांग लगाई थी, वहीं मां गंगा उन्हें मुंबई का राह दिखाईं और उनकी सफलता के पीछे भी उनका ही आशीर्वाद है। बता दें सिंगर ‘तेरी दीवानी’, ‘सईयां’, ‘चांद सिफरिश’, ‘यूं ही चला चल राही’, ‘या रब्बा’ और ‘अर्जियां’ जैसे कई सुपरहिट गानों को अपनी आवाज दी है।