झारखण्ड

झारखंड के एकमात्र हेमेटोलॉजिस्ट डॉ अभिषेक रंजन बचा रहे ब्लड कैंसर के मरीजों की जान

अब तक दर्जनों मरीजों की जीने की उम्मीद बढ़ा चुका है रांची सदर अस्पताल

Ranchi: ब्लड कैंसर जैसी घातक बीमारी मरीजों को आर्थिक रूप से कमजोर तो करती ही है, उनके जीने की उम्मीद को भी खत्म कर देती है. इस बीमारी का इलाज देश के चुनिंदा बड़े अस्पतालों में ही है, लेकिन रांची के सदर अस्पताल में झारखंड के एकमात्र हेमेटोलॉजिस्ट डॉ अभिषेक रंजन मरीजों के लिए भगवान साबित हो रहे हैं.

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अब तक दर्जनों मरीजों की जीने की उम्मीद बढ़ा चुका है रांची सदर अस्पताल

Ranchi: ब्लड कैंसर जैसी घातक बीमारी मरीजों को आर्थिक रूप से कमजोर तो करती ही है, उनके जीने की उम्मीद को भी खत्म कर देती है. इस बीमारी का इलाज देश के चुनिंदा बड़े अस्पतालों में ही है, लेकिन रांची के सदर अस्पताल में झारखंड के एकमात्र हेमेटोलॉजिस्ट डॉ अभिषेक रंजन मरीजों के लिए भगवान साबित हो रहे हैं.

रांची के बुंडू की रहने वाली पार्वती देवी पिछले कुछ सालों से ब्लड कैंसर की सबसे घातक रूप से जूझ रही हैं. पार्वती को एक्यूट माइलॉयड ल्यूकिमिया नामक बीमारी है. इस बीमारी के इलाज में 50 लाख का खर्च आता है, इसका इलाज करा पाना सामान्य वर्ग वालों के लिए संभव नहीं है. यह ऐसी बीमारी है कि 100 में 30 से 40 मरीज मात्र 2 से 3 साल तक ही बच पाते हैं. लेकिन अच्छी बात है कि पार्वती 10 साल से ज्यादा जी सकेगी. इनकी आयु सामान्य इंसान की आयु जितनी भी हो सकती है. ऐसा दावा सदर अस्पताल में पार्वती देवी का इलाज कर रहे झारखंड के इकलौते हेमेटोलॉजिस्ट डॉ. अभिषेक रंजन ने किया है. पार्वती को इलाज के लिए पहले रिम्स ले जाया गया था, जहां से एक्यूट माइलॉयड ल्यूकिमिया की एडवांस स्टेज बताकर उसे एम्स दिल्ली ले जाने की सलाह दी गई.

परिजनों ने एम्स दिल्ली में इस बीमारी का ट्रीटमेंट पता किया तो उन्हें मालूम चला कि ट्रीटमेंट के कम से कम 6 साइकल लेने होंगे. जबकि एक साइकल की कीमत 2 से ढ़ाई लाख तक बताई गई. यानी पूरा खर्च 15 से 18 लाख. इतनी खर्च सुनते ही पार्वती और उसके परिवार वालों ने उसे बचाने की आस ही छोड़ दी. परिजन ने बताया कि किसी ने सदर अस्पताल में ब्लड कैंसर के इलाज की जानकारी दी. फिर सदर अस्पताल में ओपीडी में दिखाने के बाद डॉक्टर ने भर्ती कर लिया. पार्वती करीब 15 दिन से सदर अस्पताल में भर्ती हैं. मुफ्त में ही आयुष्मान भारत योजना के तहत उसका इलाज भी चल रहा है. जिस इलाज के लिए एम्स दिल्ली में 15 लाख के करीब खर्च बताया गया था, सदर अस्पताल में 15 दिन में दवाई के नाम पर सिर्फ 8 से 10 हजार ही खर्च करने पड़े है. बाकी पूरी इलाज व दवाएं मुफ्त में उपलब्ध कराई जा रही है.

टीएमएच मुंबई में ट्रिटमेंट के लिए मांगे 9 लाख, वहां का एडवांस ट्रीटमेंट छोड़कर सदर अस्पताल में करा रहें इलाज

रूबिलाल सिन्हा, उम्र 57 साल बीमारी की हालत में 15 दिन पहले इन्हें टाटा मेडिकल हॉस्पिटल मुंबई ले जाया गया था. जहां इनमें ब्लड कैंसर की पुष्टि हुई. यह भी पार्वती की ही तरह एडवांस स्टेज की रोगी हैं. टीएमएच मुंबई में चिकित्सीय परामर्श लेने के बाद बताया गया कि मरीज का ट्रीटमेंट 6 साइकल में किया जाएगा. प्रति साइकल डेढ़ लाख रुपये खर्च होंगे. रुबिलाल सिन्हा के परिजन पैसे के अभाव में वहां इलाज कराने को सक्षम नहीं थे. उन्हें टीएमएच मुंबई के ही एक डॉक्टर ने रांची सदर अस्पताल के हेमेटोलॉजिस्ट डॉ अभिषेक रंजन के बारे जानकारी दी. मुंबई से जैसे ही फ्लाइट रांची एयरपोर्ट पहुंची, फैरन मरीज को सदर अस्पताल में भर्ती किया गया. यहां मरीज का इलाज निःशुल्क किया जा रहा है.

अभी सदर के हेमेटोलॉजी विभाग में 20 मरीज भर्ती

डॉ. अभिषेक रंजन ने बताया कि सदर अस्पताल में हेमेटोलॉजी विभाग के खुले सिर्फ 3 महीना ही हुआ है. अब तक यहां से 15 रोगी को इलाज मिल चुका है. जबकि वर्तमान में 18 नए रोगी भर्ती हैं. इनमें से अधिकांश को आयुष्मान भारत के तहत मुफ्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. डॉ. अभिषेक रंजन के अनुसार, भर्ती रोगियों में करीब 6-7 रोगी एप्लास्टिक एनिमिया के हैं. जबकि 10 रोगी ब्लड कैंसर से पीड़ित हैं. ब्लड कैंसर से पीड़ित रोगी में 3 मरीज एक्यूट माइलॉयड ल्यूकिमिया, 3 मरीज एक्यूट लिंफोब्लास्टिक ल्यूकिमिया, 2 मरीज क्रोनिक मिलॉइड ल्यूकेमिया और 1 मरीज लिंफोमा से ग्रस्त है.

इन बीमारियों का संपूर्ण इलाज सदर में संभव

-सभी प्रकार के एनिमिया.

-सभी प्रकार के ल्यूकिमिया.

-सभी प्रकार के प्लेटलेट्स संबंधित बीमारी.

-लिंफोमा से संबंधित बीमारी.

-हिमोफिलिया.

-थैलेसिमिया.

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