भारत में उत्तर प्रदेश, तो पाकिस्तान में पंजाब प्रांत तय करता है किसकी होगी ताजपोशी? जानिए पूरा गणित
Pakistan Election 2024: पाकिस्तान में आज चुनाव है और मतदान हो रहा है। पाकिस्तान में कौन सरकार बनाएगा यह तो वक्त बताएगा। लेकिन इससे पहले जान लेते हैं कि पाकिस्तान में सरकार बनाने का रास्ता किस प्रांत से होकर गुजरता है। दरअसल, भारत में उत्तर प्रदेश एक ऐसा प्रांत है, जिसके बारे में कहा जाता है कि सरकार बनाने का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है, क्योंकि उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 80 सीटें हैं। यहां ज्यादा सीटें मिलीं, तो सरकार बनना लगभग तय होता है। इसी तरह पाकिस्तान का ‘उत्तर प्रदेश’ वहां का पंजाब प्रांत है। कहते हैं पंजाब प्रांत ही तय करता है कि पाकिस्तान में किस पार्टी की सरकार बनेगी? क्योंकि पंजाब प्रांत में पाकिस्ताान की कुल 342 सीटों में से सबसे ज्यादा सीटें हैं। वैसे भी पंजाब में ही सबसे ज्यादा समृद्धि भी है। देश के सबसे रईस लोग भी पंजाब प्रांत में रहते हैं।
कंगाल अर्थव्यवस्था और आतंकवाद के साए में पल रहे पाकिस्तान में आज आम जनता के क्रोध, निराशा और हताशा के बीच चुनाव हो रहे हैं। हैरानी की बात तो यह है कि पाकिस्तान जब से आजाद हुआ है, यहां किसी भी सरकार ने आज तक 5 साल का अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है। वैसे इस बार का चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि एक पूर्व प्रधानमंत्री सलाखों के पीछे बंद है, तो दूसरा निर्वासित जीवन बिताने के 4 साल बाद वापस वतन लौटा और चुनावी किस्मत आजमा रहा है। यह प्रत्याशी कोई और नहीं, तीन बार पीएम रहे नवाज शरीफ हैं। वे पंजाब प्रांत में खासा दखल रखते हैं।
पंजाब प्रांत चुनाव में इतना अहम क्यों?
पाकिस्तान में पंजाब प्रांत सबसे ज्यादा सीटें हैं। पाकिस्तान की संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली में कुल 342 सीटें हैं। इनमें से 272 सांसद चार प्रदेशों से चुनकर आते हैं, जबकि 60 सीट महिलाओं के लिए और 10 सीटें धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं। पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान और खैर पख्तुनख्वा पाकिस्तान के चार प्रांत हैं। इनमें पंजाब को सत्ता का द्वार कहा जाता है क्योंकि वहां नेशनल असेंबली की सबसे ज्यादा 141 सीटें हैं।
2018 में इमरान खान की पार्टी ने जीती थीं इतनी सीटें
2018 के चुनाव में इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने यहां से कुल 67 सीटें जीती थीं और इस्लामाबाद में सरकार बनाई थी। दूसरी तरफ नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन को 2018 में यहां कुल 64 सीटें मिली थीं। इस बार पंजाब समेत पूरे पाकिस्तान में इमरान खान की पार्टी संकट का सामना कर रही है। उनके कई नेता निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं जबकि इमरान खान समेत पीटीआई के कई बड़े जेल में बंद हैं। इन वजहों से नवाज शरीफ की पार्टी के नेता सियासी अखाड़े में बढ़त बनाए हुए हैं। खुद नवाज शरीफ भी लाहौर की नेशनल असेंबली सीट-130 से चुनाव लड़ रहे हैं। इसलिए यहां पीएमएलएन हावी दिख रहा है।
अन्य प्रांतों में क्या सूरत-ए-हाल?
दूसरा अहम प्रांत सिंध है, जहां 61 सीटें हैं। यह पीपीपी का गढ़ है। यहां अभी भी पीपीपी की प्रांतीय सरकार है। पीएमएल-एन भी यहां अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। नवाज शरीफ की पार्टी यहां मुताहिदा कौमी मूवमेंट के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है। इनके अलावा खैबर पख्तून में नेशनल असेंबली की 45 और बलूचिस्तान में 16 सीटें हैं। इस तरह सत्ता का गणित देखा जाए तो इसमें पंजाब प्रांत सबसे अव्वल है। इस प्रांत को इसलिए सत्ता का द्वार कहा जाता है।